साईं बाबा और चाँद मियां (पाटिल) की असली कहानी


जिला औरंगाबाद (निजाम स्टेट) के धूप ग्राम में चाँद पाटील नामक एक धनवान् मुस्लिम रहते थे । जब वे औरंगाबाद जा रहे थे तो मार्ग में उनकी घोड़ी खो गई । दो मास तक उन्होंने उसकी खोज में घोर परिश्रम किया, परन्तु उसका कहीं पता न चल सका । अन्त में वे निराश होकर उसकी जीन को पीट पर लटकाये औरंगाबाद को लौट रहे थे । तब लगभग 14 मील चलने के पश्चात उन्होंने एक आम्रवृक्ष के नीचे एस फकीर को चिलम तैयार करते देखा, जिसके सिर पर एक टोपी, तन पर कफनी और पास में एक सटका था । फकीर के बुलाने पर चाँद पाटील उनके पास पहुँचे । जीन देखते ही फकीर ने पूछा यह जीन कैसी । चाँद पाटील ने निराशा के स्वर में कहा क्या कहूँ मेरी एक घोड़ी थी, वह खो गई है और यह उसी की जीन है ।

फकीर बोले – थोड़ा नाले की ओर भी तो ढूँढो । चाँद पाटील नाले के समीप गये तो अपनी घोड़ी को वहाँ चरते देखकर उन्हें महान् आश्चर्य हुआ। उन्होंने सोचा कि फकीर कोई सामान्य व्यक्ति नहीं, वरन् कोई उच्च कोटि का मानव दिखलाई पड़ता है । घोड़ी को साथ लेकर जब वे फकीर के पास लोटकर आये, तब तक चिलम भरकर तैयार हो चुकी थी । केवल दो वस्तुओं की और आवश्यकता रह गई थी। एक तो चिलम सुलगाने के लिये अग्नि और दितीय साफी को गीला करने के लिये जल की ।फकीर ने अपना चिमटा भूमि में घुसेड़ कर ऊपर खींचा तो उसके साथ ही एक प्रज्वलित अंगारा बाहर निकला और वह अंगारा चिलम पर रखा गया । 

फिर फकीर ने सटके से ज्योंही बलपूर्वक जमीन पर प्रहार किया, त्योंही वहाँ से पानी निकलने लगा ओर उसने साफी को भिगोकर चिलम को लपेट लिया । इस प्रकार सब प्रबन्ध कर फकीर ने चिलम पी ओर तत्पश्चात् चाँद पाटील को भी दी । यह सब चमत्कार देखकर चाँद पाटील को बड़ा विस्मय हुआ । चाँद पाटील ने फकीर ने अपने घर चलने का आग्रह किया । 

दूसरे दिन चाँद पाटील के साथ फकीर उनके घर चला गया । और वहाँ कुछ समय तक रहा । पाटील धूप ग्राम की अधिकारी था और बारात शिरडी को जाने वाली थी । इसलिये चाँद पाटील शिरडी को प्रस्थान करने का पूर्ण प्रबन्ध करने लगा । फकीर भी बारात के साथ ही गया । विवाह निर्विध्र समाप्त हो गया और बारात कुशलतापू्र्वक धूप ग्राम को लौट आई । परन्तु वह फकीर शिरडी में ही रुक गया और जीवनपर्यन्त वहीं रहा । ‪#‎exposeantisai‬

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