भक्त बढ़ रहे हैं साईं बाबा के


साईंबाबा के मुरीदों की संख्या बढ़ती जा रही है। आज जरीपटका, अयोध्या नगर और साईंनगर झिंगाबाई टाकली में भी साईं मंदिर हैं पर सर्वोपरि वर्धा रोड स्थित साईं मंदिर ही है। शहर के हर भाग से यहां लोग पहुंचते हैं। गुरुवार के दिन भक्तों की भीड़ देचते ही बनती है। दोपहर में देर तक चलती आरती के दरम्यान सामने खड़े नर—नारियों और बच्चों की सामूहिक प्रार्थना को सुन बाबा मंद—मंद मुस्कुराते बैठे सबको देखते नजर आते हैं। सामान्यत: साईंबाबा को दत्त़ात्रेय का अवतार माना जाता है पर यह भी एक सच्चाई है कि बाबा स्वयं दत्तात्रेय के उपासक नहीं बल्कि राम के उपासक थे। 

कई मौकों पर वे अपने भक्तों को हनुमान जी पूजा करने तथा कभी शंकर की उपासना करने की सलाह भी देते थे। शिरडी के उनके शुरुआती काल में जब लोगों ने उन्हें तेल तक देने से मना कर दिया तो बाबा ने 'द्वारका माई'में पानी के दीपक जगमगा कर चकित कर दिया। लोग उनके पास अपनी शारीरिक व्याधियां दूर कराने जाने लगे। कोई भूत—बाधा दूर कराने, कोई पुत्र प्राप्ति के लिए तो कोई धन—धान्य से समृद्ध होने उनके पास आने लगे। कहा जाता है कि बाबा योग विद्या भी जानते थे। एक बार शिरडी के आसपास प्लेग फैला तो बाबा ने स्वयं पत्थ्र की चकिया पीसकर आटा निकाला और लोगों से उसे गांव की सीमारेखा पर डालने के लिए कहा ताकि प्लेग बस्ती के अंदर न घुसे और ऐसा हुआ भी।

शिरडी में आज भी वह आटा—चक्की रखी है। नागपुर के साईबाबा मंदिर में भी सन् 2002 में जब नवनिर्माण् हुआ तो वहां प्रतीक के तौर पर एक चकिया धूनी स्थल के पास रख दी गई है। भगवान दत्त, गणेश, दुर्गा माता के अलावा यहां एक शिवलिंग भी स्थापित है। बाबा के टीक सामने दरवाजे पर एक नंदी भी बिठाया गया है। अनेक भक्त इस नंदी के कान में अपनी मनोकामना बताते हुए देखे जाते हैं। उनकी मान्यता है कि नंदी हमारी कामना को बाबा से कहकर पूरी कराएगा क्योंकि दत्तात्रेय भगवान में शंकर का रूप भी था और शंकर के वाहक नंदी हैं।