दत्तात्रेय अवतार श्री शिरडी साईं बाबा


प्राचीन काल पूर्व से भारत ऋषि मुनियों की तपो भूमि रही है, जिन्होंने सदैव भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक एवं अध्यात्मिक भूमि पटल का पथ प्रदर्शन अपने विचारों, दर्शन एवं चिंतन द्वारा किया। भारत की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि पर ही नहीं वरन्‌ संपूर्ण विश्व में, शिरडी साईं बाबा का प्रभाव जन मानस पर शायद सबसे अधिकतम रहा है। श्री शिरडी साईं बाबा – एक फकीर, जो कि अहमदनगर जिले के शिरडी नामक एक छोटे से गांव में अवत्तीर्ण हुए ।

शिरडी साईं बाबा के पैतृक संबंध, बाल्यकाल व उनके शिरडी में अवत्तीर्ण होने के पूर्व काल के संबंध में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है; हालांकि ‘बाबा’ (मायने ‘पिताजी’ : भक्त आदर से श्रद्धापूर्वक उन्हें इसी तरह संबोधन करते हैं) यदा कदा अपनी अनमेल भाषा में अपने ‘पथारी’ (जो सेलु’ के समीप है) नामक स्थान से संबंधित होने के बारे में कहा करते थे। कभी-कभी तो, बाबा अपना संबंध संत कबीर से भी करते और लोगों ने उन्हें अक्सर फारसी, अरबी से मिलती जुलती भाषा में उन्हें बोलते हुए सुना, जो कि अन्य सूफी संतों द्वारा भी प्रयोग में लायी जाती थी।

वे भक्तों को उनकी योग्यता एवं आध्यात्मिक उन्नति के लिए आवश्यकतानुसार श्रीमद्‌भागवदगीता, एकनाथी भागवत, श्री विष्णु सहस्रनाम व अन्य धार्मिक ग्रंथ इत्यादि पढ़ने की सलाह देते ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो; यद्यपि अन्य धर्म के अनुयायी जो भी उनसे मिलने आते, शिरडी साईं उन्हें उनके धर्म मतानुसार ही उन्हें मार्ग दर्शन कराते जो कि शिरडी साईं के प्रसिद्ध विचार ”सबका मालिक एक” को दर्शाता है। शिरडी साईं के इन्हीं दार्शनिक सिद्धांत जो कि मुलतः मानवता, श्रद्धा, सबुरी, मानव प्रेम, पवित्रता पर आधारित हैं, आज देश विदेश में तेजी से प्रचारित हो रहें हैं जो की शिरडी में आए दिन देश विदेश से लाखों की संखया में उमड़ता जन सैलाब से दिखता है। शिरडी साईं के अनेकों मंदिर देश विदेश में निर्माण हो रहे हैं जो साईं के मानवता के संदेश के प्रसार स्थल हैं।

श्री शिरडी साईं बाबा, हजरत ताजुद्‌दीन बाबा (इनका समाधि स्थल नागपुर में है), हजरत बाबाजान (पुने), समर्थ सद्‌गुरु अक्कलकोट महाराज, सद्‌गुरु गजानन महाराज (शेवगांव, अकोला) के समकालीन संत थे और इन्हीं संतों के समकक्ष ‘दत्तात्रेय अवतार’ माने जाते हैं।

शिरडी में अपने ६०-७० साल के प्रवास के दौरान, शिरडी साईं ने कभी भी नीमगांव और रहता छोड़ अन्य किसी भी जगह भ्रमण/आवागमन नहीं किया, फिर भी समस्त विश्व में होने वाली प्रत्येक घटनाओं की जानकारी उन्हें थी। बाल गंगाधर तिलक इत्यादि जैसे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले नेता अक्सर उनसे भेंट करते, जिसके कारण ब्रिटिश सरकार ने अपने जासूस उनके क्रियाकलापों की जानकारी बटोरने हेतु लगा दिये; हालांकि ब्रिटिश सरकार के इस दुष्कर कार्य का कोई परिणाम शिरडी साईं पर व उनसे मिलने आये भक्तों पर नहीं पड़ा। इस तथ्य से हमें पता चलता है कि शिरडी साईं का प्रभाव क्षेत्र आध्यात्मिक भूमि तक ही नहीं वरन सामान्य जन जीवन को प्रभावित करने वाली संपूर्ण सरकारी तंत्र प्रणाली से भी जुड़ी थीं। लोगों की भीड़ आध्यात्मिक विकास हेतु बाबा से मार्ग दर्शन प्राप्त करने आती, अनेकों लोग बाबा से अपने भौतिक उत्थान की कामना भी करते। बाबा सभी मिलने वालों से जो भी उनसे आश्रय मांगता ‘अल्लाह मालिक’ कह कर आशीष देते। 

वे अक्सर अपने भक्त समुदाय को – जो कि समाज के विभिन्न धर्म, जाति, भाषा इत्यादि के होते थे – अपने हाथों से बनाया भोजन खिलाते और सभी भक्तों के भोजन ग्रहण करने के उपरांत ही स्वयं भोजन करते। यहाँ तक कि पशु, प्राणी भी उनकी रसोयी से भोजन प्राप्त करते। शिरडी साईं की करुणामयी उदार दृष्टि व हृदय सब प्राणियों के लिए थी और शिरडी वासियों ने अक्सर इस महान संत द्वारा लगायी गईं चमेली, जाइ, जूही की कोमल लता को स्वयं अपने हाथों से , पानी से सींचते देखा। सृष्टि के प्रत्येक तत्त्व/प्राणी शिरडी साईं की स्नेही कृपामयी आनंदमयी दृष्टि से पल्लवित व हश्रित था।

बाबा अक्सर लोगों को ‘श्रद्धा’ एवं सबुरी को अपनाने लिये कहते जैसे कि अन्य सूफी संत भी कहा करते हैं। ये दोनों गुण मनुष्यों को आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर होने व ईश्वरीय अनुकंपा प्राप्त करने के मुकम्मिल पात्र बनाने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं । शिरडी साईं ने कभी भी बहुश्रमसिद्ध विधि इत्यादि का पक्ष नहीं लिया अपितु सिर्फ सरल मानवता को अपनाने की सीख दी।

शिर्डी साईं बाबा ने आपने जीवन काल में अनेको चमत्कार दिखाए , जैसे की पानी से दिए प्रज्वालित करना (जो की अन्य सूफी संतो की जीवन चरित्र में भी पढने को मिलता है ) , रुग्णों का चमत्कारिक ढंग से ठीक करना इत्यादि इत्यादि | आज , लाखों की संख्यां में शिर्डी साईं के भक्त बाबा द्वारा किये गए चमत्कारिक अनुभव की घटना महसूस / देख रहे हैं जो की बाबा के उनके जीवन काल के दौरान उनके कहे हुए वचन “ मैं इस शारीर के निर्वाण के बाद भी क्रियाशील रहूँगा” और “मेरी समाधी मेरी भक्तों से बात करेगी व भक्तों की आवश्यकताएं पूरी करेंगी ” की सत्यता का प्रमाण है |

शिरडी साईं बाबा, शिरडी में एक जीर्ण शीर्ण मस्जिद में वास करते थे जिसे वे ‘द्वारकामाई’ मस्जिद’ कहते थे – यह स्थान समाज के विभिन्न धर्मों, जाति, वर्ग, भाषा, संप्रदाय के लोगों का आश्रय स्थल था व उनके समागम का केंद्र बिंदु था। शिरडी साईं की पोशाक सिर्फ एक कफनी एवं एक टोपीनुमा वस्त्र था जो उनके सरल जीवन शैली की उद्योतक थी (जैसे कि अन्य सूफी संत पहनते थे)। उनके कर्ण में हिंदु नाथ योगियों के समान छिद्र थे। अन्य सूफी संतों जैसे वे अक्सर कव्वालियाँ सुनते और प्रज्ज्वलित अग्नि ‘धूनी’ के समीप बैठ कर भगवान का स्मरण करते हुए ‘अल्लाह मालिक’ कहते। शिरडी साईं ‘उदी’ – जो प्रज्ज्वलित धूनी से निकलती है – मुक्त हस्त से अपने भक्तों में आशीष स्वरूप वितरित करते जो कि भक्तों की सबसे प्रबल कष्टों एवं दुखों के निवारण हेतु सबसे समर्थ सरल उपाय था।

तो यह है सद्‌गुरु श्री शिरडी साईं के बृहद्‌ आलौकिक संत व्यक्तित्व पर एक प्रारंभिक छोटा सा आलेख; सद्‌गुरु शिरडी साईं – जिन्हें नाथ संप्रदाय के भक्त दत्तात्रेय अवतार, शैव उन्हें शिवअवतार, वैष्णव उन्हें विष्णु नारायण अवतार मानते हैं व वे सूफी संत हैं – जिन्होंने अपने शिक्षा, जीवन शैली व सिद्धांतों से जन मानस का आध्यात्मिक विकास किया और जाति, वर्ण, धर्म आदि के आधार पर बंटीं हुईं सामाजिक पृष्ठभूमि को ,मानवता के बंधन में पिरोयी हुई एकता की सूत्रधारा में , एक नए सामाजिक आध्यात्मिक पथ का उद्‌घोष किया। शिरडी साईं द्वारा दी गई सीख, विचार धारा व मानवता के संदेश समूचे विश्व के मनुष्यों को, सभी रूप के संकीर्ण विचारधाराओं को तोड़ते हुए, मानवता के सूत्र में एक जुट कर रही है। सच, शिरडी साईं सभी प्राणियों के दिव्य करुणामयी आधार हैं जो अपने आश्रितों के रखवाले व पथ प्रदर्शक हैं।

यद्यपि बाबा १५ अक्टूबर, १९१८ को समाधिस्थ हुए, उनके भव्य आलौकिक उपस्थिति और आज भी अनुभव होने वाले उनसे संबंधित चमत्कार , जो प्रति दिन लोगों के जीवन में घटित हो रही हैं, उनके दिनों-दिन बढ़ते हुए भक्त समुदाय को उनकी हर पल उपस्थिति का आश्वासन व भक्तों का मार्ग दर्शन कर रही है।

बाबा अपने भक्तों के लिए साक्षात्‌ ईश्वर हैं, यह एक कल्पना नहीं वरन्‌ स्वयं भक्तों का अनुभव है।

!! शिरडी साईं को शत्‌ शत्‌ प्रणाम – उनकी कृपा सब पर बनी रहे!! ‪#‎exposeantisai‬